संवाददाता – अनिल पोया
कोरबा/ कटघोरा:- जैसा कि आप जानते हैं कि उत्तर छत्तीसगढ़ के घने वनक्षेत्र हसदेव अरण्य मध्य भारत के फेफडे है। ये जंगल ही इनसे होकर जाने वाली हसदेव नदी पर बने मिनीमाता बांगो बांध का कैचमेंट क्षेत्र है। इस बांध से ही जांजगीर, कोरबा, विलासपुर जिलों की लाखों हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। जैव विविधता से परिपूर्ण यह विशाल वन क्षेत्र हाथियों का रहवास और उनके आने-जाने का रास्ता है। यहां निवासरत आदिवासियों को आजीविका, संस्कृति और उनके जीवन का आधार भी यही जंगल और जमीन है। हसदेव पर किये गये अध्यन में केन्द्र सरकार के संस्थान “भारतीय वन्य जीव संस्थान” ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि हसदेव में किसी भी खनन परियोजना को अनुमति दी गयी तो बांगो बांध खतरे में पड़ जायेगा, उसकी जल भराव क्षमता कम हो जायेगी। खनन होने से छत्तीसगढ़ में मानव हाथी संघर्ष इतना बढ़ जायेगा कि उसे कभी नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा। हसदेव को बचाने की लड़ाई सिर्फ हसदेव के आदिवासी किसानों की नहीं बल्कि हम सब के जीवन को बचाने की लड़ाई है। हसदेव जंगल बचाव हेतु 24 नवम्बर को न्यायधानी बिलासपुर से शुरू हुई पदयात्रा दसवें दिन में कटघोरा पहुँचा और वहाँ से गुलसियां के लिए पदयात्रा सुबह 8:00 बजे प्रारंभ हो गया। पदयात्रा के दसवें दिवस पर कटघोरा में सातगढ़ कंवर समाज के अध्यक्ष विजय प्रभात कंवर, सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के जिलाध्यक्ष चंद्रपाल सिंह कंवर, सुरेन्द्र राठौर, पूर्व जिलाध्यक्ष केशी कंवर, जीएसयू के पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल पोया, जिला प्रवक्ता सत्येन्द्र श्याम, ब्लॉक अध्यक्ष कटघोरा विजय कोर्राम, ब्लॉक कोषाध्यक्ष अरूण कुमार ओड़े, रविन्द्र कंवर, जयदीप पोर्ते समेत अन्य गणमान्यजन पदयात्रा में शरीक़ हुए।
